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Monday, May 26, 2008

ठेले ने ठेलों को ठेला


माखन लाल विस्वविद्यालय के बाहर अपने राजू भाई के ठेले पर चाय की चुस्कियाँ लेने वालों की भीड़ ऐसी लगी की बाकी सारे ठेले वालों की वाटलगा दी ।
  • चाय भी स्पेसल जिसे सुड्कने का मन बार बार करे ।
  • दाम भी स्पेसल एक रूपये में aआधी
  • दो रूपये में फूल
  • और क्या चाही बच्चे की जान

1 comment:

vinodbissa said...

बहुत सही दिशा में जा रहा है आपका ब्लोग ........ ठेले ने ठेलों को ठेला.......... सही लिखा आपने .......शुभकामनाएं.....