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Tuesday, May 10, 2011

ड्रग्स का जोड़तोड़

माना जाता है कि दुनिया के 3 से 4 प्रतिशत यानी लगभग 14 करोड़ लोग सीधे तौर पर कैनाबीस नामक ड्रग्स का सेवन करते हैं। कैनाबीस दुनिया में सबसे ज्यादा उपयोग करने वाला मादक पदार्थ है। इसके अलावा हेरोइन शहरी युवाओं में सबसे ज्यादा प्रचलित होता जा रहा है। कैनाबीस सबसे ज्यादा खपत न्यूयार्क, लंदन, मियामी, नैरोबी, मॉस्को, तजाकिस्तान और वियतनाम में होती है। हेरोइन का सबसे ज्यादा उपयोग यूरोप और यूरेशिया में होता है। इसी के कारण न्यूयार्क में 22,300 ड्रग्स के छोटे-मोटे अपराधी जेल में हैं। ड्रग के बढ़ते कारोबार का पता इस बात से लगाया जा सकता है कि 1998 में न्यूयॉर्क के 40 हजार युवाओं पर अदालत में केस चला। अमेरिकी नेवी के अधिकारियों ने सन 2000 में लगभग 55 लाख नशीली दवाओं की गोलियों को सील किया। लब्बोलुबाब यह कि विश्व की बढ़ती जनसंख्या, हताशा और युवाओं के बूते यह कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है।

ड्रग्स का उत्पादन मुख्यत: हॉलैंड, मोरक्को, नीदरलैंड, कोलम्बिया, पेरू, बोलीविया, गोल्डन ट्राइंगल (थाइलैंड, लाओस, म्यांमार) और गोल्डन क्रेसेंट (अफगानिस्तान, पाकिस्तान, ईरान)आदि में प्रमुखता से होता है। नीदरलैंड में मुख्यत: एम्फेटामिंस और ईस्टेसी आदि सेंथेटिक ड्रग्स का उत्पादन होता है। इसके अलावा इसका उत्पादन पोलैंड और डच में भी होता है। इसका निर्यात अमेरिका में तेजी से बढ़ा है। नीदरलैंड मारिजुआना का भी बड़े पैमाने पर उत्पादन करता है। जिसे पुलिस ने कुछ ही स्थानों पर खुले बाजार में बेचने की अनुमति दी है। अफगानिस्तान दुनिया में सबसे ज्यादा ड्रग्स का उत्पादन करता है। इससे सटे देशों और इलाकों में 20 किलो के बंचों में हेरोइन अवैध रूप से निर्यात की जाती है। इसमें सबसे ज्यादा महिलाओं का इस्तेमाल किया जाता है। ईरान से सबसे ज्यादा ड्रग्स तुर्की में सप्लाई किया जाता है। इनमें सबसे बड़ा योगदान तालिबान, बोलीविया और बर्मा का है।

ड्रग्स की तस्करी मुख्यत: चीन, पश्चिम एशिया, ईरान, नाईजीरिया, हैती, बानकान्स, मैक्सिको आदि जगहों से होती है। ईरान के आसपास के इलाके से भी अधिक मात्रा में ड्रग्स की तस्करी होती है। अफगानिस्तान, अलबानिया, अंगोला, अर्जेंटीना, अरमेनिया, आॅस्ट्रेलिया, आॅस्ट्रिया, अजरबेजान, बांग्लादेश, बरबाडोस, बेलारूस, बेल्जियम, बोल्विया, बोस्निया, ब्राजील, ब्रिटिश आइसलैंड, ब्रूनेई, बर्मा, कम्बोडिया, कनाडा, कायमान आइसलैंड, चिली, चीन, कोलम्बिया, कांगो, कोस्टा रिका, क्यूबा, साइप्रस, मिस्र, ईस्टोनिया, इथोपिया, फ्रांस, जाजिया, जर्मनी, घाना, ग्रीक, गुयाना, हैती, हांगकांग, इजराइल इटली लीबिया, मैक्सिको, पाकिस्तान, पेरू रूस, अमेरिका आदि। इनमें सबसे बड़ा हिस्सा मैक्सिको, चीन, हैती, ईरान, हांगकांग, नाइजीरिया, यूरोप, अमेजान आदि का है। सन 1999 में 57 हजार लोगों को चीन में तस्करी करते पकड़ा गया। जिसमें से मात्र 100 लोगों को सजा मिली।

कैनाबीस- यह सामान्य भांग का पौधा है। इसका उपयोग अमेरिका और कनाडा आदि देशों में बैन है। कैनाबीस प्रयोग नीदरलैंड आदि देशों में खूब होता है।
तंबाकू- इसका अमेरिका, भारत और नेपाल आदि देशो में बड़ा कारोबार है। इसके अत्याधिक सेवन से मनुष्य कैंसर जैसी बीमारी का शिकार हो जाता है। भूटान में कभी इसका मुक्त व्यापार हुआ करता था, जो दिसंबर 2004 में बैन हो गया, जिससे इसका काले बाजार में भारी इजाफा हुआ।
हेरोइन- दुनिया में सबसे ज्यादा हेरोइन दक्षिण एशिया में होती है। अफगानिस्तान दुनिया का सबसे बड़ा हेरोइन निर्यातक देश है। 2007 में वह विश्व की लगभग 93% हेरोइन का निर्यात करता था। जिसकी कीमत उस समय 64 बिलियन डॉलर के लगभग आंकी गई थी। अफगानिस्तान के बाद मैक्सिको का नाम आता है। 1930-1970 में मुख्यत: फ्रांस के रास्ते अमेरिका में हेरोइन की सप्लाई होती थी। वियतनाम वार के दौरान यह शहीद अमेरिकी सैनिकों के ताबूत में अमेरिका पहुंचाई जाती थी।

मेथाम्फेटामाइन- यह सामान्यत: क्रिस्टल मेथ, मेथ, और आइस नामों से बाजार में ज्यादा प्रचलित है। साऊथ अफ्रीका के बाजारों में इसे टिक-टिक के नाम से भी जाना जाता है। आसानी से बन जाने से इसका सेवन कम उम्र के बच्चों में भी देखा जाता है।
टेमाजेपाम- यह अवैध रूप से लैबों में बनाया जाता है। यह पूर्वी यूरोप में ज्यादा प्रचिलित है। यह कई रसायनों जैसे जियाजेपाम, आॅक्साजेपाम और लोराजेपाम को मिलाकर बनाया जाता है। इसको तैयार करने वाली लैबों को रूस, यूक्रेन, क्रेच रिपब्लिक, लातविया और बेलारूस में कई जगहों पर बंद कर दिया गया है। ब्रिटेन में यह प्रिस्क्रिप्शन ड्रग है। यह फिनलैंड, नीदरलैंड, पोलैंड चेक रिपब्लिक, हंगरी, भारत, चीन और दक्षिण एशिया के कुछ प्रांतों में भी प्रयोग की जाती है। स्वीडेन में बढ़ती दुर्घटनाओं के कारण पूरी तरह से पूरी तरह से बैन है। इसके अलावा कोकीन, निमेटाजेपाम, एमडीएमए, और एम्फेटामाइंस आदि ऐसे ड्रग्स हैं, जो तेजी से नशे के लिए प्रयोग किए जाते रहे हैं।

ड्रग्स का कारोबार अवैध तरीके से तेजी से तब फला फूला जब इस पर प्रतिबंध लगाए गए। पहला एंग्लोचीन वार-1839-42 जिसे पहली अफीम वार के नाम से भी जाना जाता है।
यह ब्रिटेन और क्विंग डायनेस्टी आॅफ चीन के बीच हुआ। 18 मार्च को शुरू हुआ यह युद्ध दोनों देशों के बीच आई रिश्तों की दरार, व्यापारिक संबंधों में आई कटुता से हुआ। चीन ने अफीम को अपने देश में बढ़ते नशे के कारण बैन कर दिया और ब्रिटेन इसके खिलाफ था। अफीम का व्यापार उस समय काफी फायदे का सौदा था। कहा जाता है कि उस दौरन चीन में लगभग 20 लाख लोग इसके आदी थे। 1920 के दौरान जब कई देशों में इस पर प्रतिबंध लगाना शूरू किया तो इसके कारोबार के काले रास्ते खुलने लगे। यहीं से आधुनिक चीन की शुरुआत होती है। चीन में 2000 में 6 लाख 80 हजार ड्रग एक्डिटों की संख्या थी। जो प्रति वर्ष 10 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। सरकार ने उपायों के लिए देश में दो सालों में 742 सेंटर्स की स्थापना की है।

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